।। Shrimadbhagwad Geeta ।। A Practical Approach ।।
।। श्रीमद्भगवत गीता ।। एक व्यवहारिक सोच ।।
।। Chapter 17.D II Disclaimer II
।। अध्याय 17.D II अस्वीकरण II
अस्वीकरण – Disclaimer
गीता की व्याख्या विभिन्न पुस्तको से संकलित की गई है, अतः प्रस्तुत कर्ता किसी भी प्रकार के ज्ञान का कोई अधिकृत या अनुभव होने का दावा नही करता, न ही वह स्वयं को निष्काम या तत्वदर्शी मानता है, न ही यह उस के अनुभव के आधार पर लिखी हुई मौलिक व्याख्या है। इस के लेखन को प्रस्तुत करने की प्रेरणा मुझे मेरे मित्र CA अश्विन नागर जी से मिली, जिन्होंने गीता की अंग्रेजी व्याख्या बिना कोई रुकावट के नित्य प्रतिदिन भेजा। गीता को गंभीरता से पढ़ने की प्रेरणा भी उन्ही से और उन अपार whatsapp के पाठको से मिली, जो मुझे लेखन के लिए समय समय पर प्रोत्साहित करते रहे। गीता श्लोक में वर्णित अंग्रेजी व्याख्या हिंदी में वर्णित समीक्षा से भिन्न है, क्योंकि हिंदी समीक्षा अंग्रेजी व्याख्या का अनुवाद नही है। किन्तु एक दूसरे की पूरक अवश्य है। इस को internet में ब्लॉग द्वारा प्रस्तुत करने के श्री प्रशांत पांडे जी एवम श्री राम भदंग जी का सहयोग है। इस मे व्याख्या निम्न माध्यम की सहायता से तैयार की है। समर भूमि में परब्रह्म का ज्ञान, सिर्फ गीता द्वारा ही व्यवहारमें किस प्रकार उपयोगी हो, समझा जा सकता हें I धार्मिक ग्रन्थ में प्रयुक्त शब्दों और पात्रो को भी विशेष के माध्यम से स्पष्ट करने की कोशिश की हें I किन्तु कितना समझ सका यह तो वही एक जानता हेंI
इस मे सर्वप्रथम iit kanpur की गीता site की मदद बहुत रही।
इस के अतिरिक्त गूगल सर्च, विकिपीडिया में लेखन आदि की भी मदद ली गई है। उन के लेखकों का आभार है।
जिन गीता की मीमांसा की पुस्तको का हिंदी की समीक्षा में सहारा लिया गया उन के नाम इस प्रकार है।
1. गीता दर्पण – श्री स्वामी आत्मानंद जी मुनि
2. श्रीमद्भागवत गीता -यथारूप – श्री श्रीमद ए सी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद
3. यथार्थ गीता – स्वामी अड़गड़ानंद जी
4. गीता रहस्य – बाल गंगाधर तिलक
5. श्रीमद्भागवत गीता -तत्वविवेचनी हिंदी टीका – जयदयाल गोयनका
6. ज्ञानेश्वरी गीता – संत ज्ञानेश्वर
7. श्रीमद्भागवत गीता – व्याख्यामृतसरिता – श्री त्रिदंडी स्वामी महाराज, श्री लक्ष्मीप्रपन्न जीयरस्वामी, संपादन डॉ सुदामा सिंह
8. ‘शांकर भाष्य’ – गीता आद्य स्वामी शंकराचार्य जी
9. श्रीमद्भागवत गीता साधक संजीवनी हिंदी टीका – स्वामी रामसुखदास जी
10. श्रीमद्भागवत गीता – स्वामी चिन्मयानंद जी
11. Bhagavad Gita – The Song of God -Swami Mukundananda
12. Srimad Bhagavad Gita – Talks of Swami Paramarthananda – Transcription by Sri P S Ramchandran, Nana-Nani Homes, Coimbatore.
इस के अतिरिक्त अष्टवक्र गीता, स्वामी अखंडानंद जी की विवेक कीजिये, पतंजलि योगदर्शन और विवेक चूड़ामणि – शंकराचार्य जी की पुस्तकों का भी सहयोग है।
गीता चार वेदों एवम 1200 उपनिषदों का सार है, अतः जितनी बार उसे पढ़ा जाए, उतना ही उस का अर्थ स्पष्ट भी होता है और मन की दुविधाओं का भी नाश होता है। एक बार उपजा ज्ञान समय समय पर खाद-पानी देते रहने से फलीफूत होता रहता है। इसलिये यह अमृतम की ओर प्रशस्त मार्ग की ओर एक कदम तो है ही। द्वैत में ज्ञाता ज्ञान एवम ज्ञेय अलग अलग होते है और अद्वैत में यह तीनो एक ही होता हें। गीता ज्ञान है. परब्रह्म ज्ञेय और हम ज्ञाता, अतः जब तक हम गीता के साथ अद्वैत नही होते, यह अध्ययन अधूरा ही है।
मेरे विचार से गीता किसी धर्म विशेष का ग्रन्थ न हो कर मनुष्य के कर्तव्य धर्म का ज्ञान है। जिसे वेदव्यास महृषि ने वर्षो पूर्व महाभारत में लिपिबद्ध किया था। गीता का ज्ञान हर वर्ग , हर धर्म और हर विचारधारा के लिये प्रासंगिक है, इसलिये इसे सभी अध्ययन कर्त्ता को समर्पित भी करता हूँ।
अपनी त्रुटियो के क्षमा मांगते हुए, आप सब का आभार मान कर नमन करता हूँ।
रविन्द्र कुमार गनेड़ीवाला (CA R K Ganeriwala, Nagpur)
+91 94223 10075 II हरि ॐ तत सत II