।। Shrimadbhagwad Geeta ।। A Practical Approach ।।
।। श्रीमद्भगवत गीता ।। एक व्यवहारिक सोच ।।
।। Chapter 15.14 II Additional II
।। अध्याय 15.14 II विशेष II
महाभारत का “नव सार सूत्र” सबके जीवन में उपयोगी सिद्ध होगा…
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1) “संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे” = कौरव
2) “आप भले ही कितने बलवान हो, लेकिन अधर्म के साथ हो, तो आपकी विद्या, अस्त्र, शस्त्र, शक्ति और वरदान, सब निष्फल हो जायेगा।” = कर्ण
3) “संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो, कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर, सर्वनाश को आमंत्रित करे” = अश्वत्थामा
4) “कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको, अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े,” = भीष्म पितामह
5) “संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ, अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है” = दुर्योधन
6) “अंध व्यक्ति – अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान,मोह और काम (मृदुला) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी, विनाश की ओर ले जाती है।” = धृतराष्ट्र
7) “व्यक्ति के पास विद्या विवेक से बँधी हो, तो विजय अवश्य मिलती है।” = अर्जुन
8) “हर कार्य में छल, कपट व प्रपंच रच कर, आप हमेशा सफल नहीं हो सकते।” = शकुनि
9) “यदि आप नीति, धर्म व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती।” = युधिष्ठिर
रीति,नीति,विद्या,विनय,
ये द्वार सुमति के चार,
इनको पाता है वही,
जिसका हृदय उदार,
यदि इन 09 सूत्रों से सबक ले पाना सम्भव नहीं होता है, तो महाभारत संभव हो जाता है…!! और महाभारत कहता है।
धर्म और सदाचार: यह महाकाव्य व्यक्ति के कर्तव्य (धर्म) को बनाए रखने और धार्मिकता के मार्ग पर चलने के महत्व पर जोर देता है। यह पात्रों द्वारा सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाओं का पता लगाता है और धर्म का पालन करने या उससे विचलित होने के परिणामों को दर्शाता है।
आज सिर्फ संकलन ……../
जय श्री कृष्णा
Complied by: CA R K Ganeriwala (+91 9422310075)