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% - Shrimad Bhagwat Geeta

।। Shrimadbhagwad Geeta ।। A Practical Approach  ।।

।। श्रीमद्भगवत  गीता ।। एक व्यवहारिक सोच ।।

।। Chapter  10.33 II Additional -1 II

।। अध्याय      10.33 II विशेष -1 II

।। स्वर और व्यंजन में ‘अ’ ।। विशेष 1 – गीता  10.33 ।।

हिंदी राष्ट्रभाषा होते हुए भी, हम लोगो की व्याकरण के मामले में कमजोर ही है। अतः समझने के लिए व्याकरण भी पढ़ लेते है।

हिन्दी वर्णमाला हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को व्याकरण में दो भागों में विभक्त किया गया है- स्वर और व्यंजन। वर्णमाला स्वर- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ अनुस्वार- अं विसर्ग- अ: व्यंजन- क, ख, ग, घ, ङ च, छ, ज, झ, ञ ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़ त, थ, द, ध, न प, फ, ब, भ, म य, र, ल, व श, ष, स, ह गृहीत- ज़, फ़, ऑ संयुक्त व्यंजन- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र स्वर जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कंठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें ‘स्वर’ कहा जाता है। व्यंजन जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कंठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें ‘व्यंजन’ कहा जाता है। प्राय: व्यंजनों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है। हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को व्याकरण में दो भागों में विभक्त किया गया है- स्वर और व्यंजन। पंचमाक्षर अर्थात वर्णमाला में किसी वर्ग का पाँचवाँ व्यंजन। जैसे- ‘ङ’, ‘ञ’, ‘ण’ आदि। आधुनिक हिन्दी में पंचमाक्षरों का प्रयोग बहुत कम हो गया है और इसके स्थान पर अब बिन्दी (ं) का प्रचलन बढ़ गया है। विशेष :- भाषा की सार्थक इकाई वाक्य हैं। वाक्य से छोटी इकाई उपवाक्य , उपवाक्य से छोटी इकाई पदबंध , पदबंध से छोटी इकाई पद , पद से छोटी इकाई अक्षर और अक्षर से छोटी इकाई ध्वनि होती है ध्वनि को वर्ण भी कहते हैं।

जैसे :- पुन: = इसमें दो अक्षर हैं – पु , न । लेकिन इसमें वर्ण चार हैं = प् ,उ , न , ह आदि।

हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है। इसी ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है। वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं। इनमें 10 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं। वर्णमाला के दो भाग होते हैं :- 1. स्वर 2. व्यंजन 1. स्वर क्या होता है :- जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं। परम्परागत रूप से स्वरों की संख्या 13 मानी गई है लेकिन उच्चारण की दृष्टि से 10 ही स्वर होते हैं। 1. उच्चारण के आधार पर स्वर 9 होते है :- अ, आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ आदि। 2. लेखन के आधार पर स्वर :- अ, आ, इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ , अं , अ: , ऋ आदि। व्यंजन क्या होता है :- जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं उन्हें व्यंजन कहते हैं। हर व्यंजन के उच्चारण में अ स्वर लगा होता है। अ के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं हो सकता।

वर्णमाला में कुल 25 व्यंजन होते हैं।

कवर्ग : क , ख , ग , घ , ङ

चवर्ग : च , छ , ज , झ , ञ

टवर्ग : ट , ठ , ड , ढ , ण ( ड़ ढ़ ) तवर्ग : त , थ , द , ध , न

पवर्ग : प , फ , ब , भ , म अंतस्थ : य , र , ल , व् (4)

उष्मा : श , ष , स , ह (4)

संयुक्त व्यंजन : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र

इस के अतिरिक्त आ, अं, अ: आदि अक्षर अ पर ही बिंदु, विसर्ग, आदि से हुए है।

कवर्ग से पवर्ग तक 25 व्यंजन स्पर्श भी कहलाते है।

यह वर्णमाला देवनागरी लिपि में लिखी गई है। देवनागरी लिपि में संस्कृत , मराठी , कोंकणी , नेपाली , मैथिलि भाषाएँ लिखी जाती हैं। हिंदी वर्णमाला में ऋ , ऌ , ॡ का प्रयोग नहीं किया जाता है।

।। हरि ॐ तत सत ।। विशेष 1-गीता  10.33 ।।

Complied by: CA R K Ganeriwala (+91 9422310075)

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